दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Friday, June 29, 2007

आज एक आदमी दिखाई दिया. उसका दाहिना हाथ नहीं था. वह अपनी कार में बैठा और ड्राइव करता हुआ चला गया. मैंने सुधीर से कहा "देखो! ये आदमी एक हाथ से कार चला रहा है!"
मुनीष बोला- "उसे ड्राइविंग लायसेंस कैसे मिला?"

दृश्य एक, सरोकार अलग अलग.

फ़राह मेरी छोटी बेटी का नाम है. सेकंड स्टैंडर्ड में है. जब वो प्ले ग्रुप में थी उसने एमएफ़ हुसेन से एक पार्टी में पूछा "आप नंगे पैर रहते हो आपके पैर कोई कुचलता नहीं है?"

आप तो जानते हैं कि हुसेन नंगे पैरों के लिये अलग से पहचाने जाते हैं.
आप यह भी जानते हैं कि स्कूल बसों की भीड में बच्चों के पैर एक दूसरे को कुचलते रहते हैं और वो अपने जूतों की वजह से तकलीफ़ कम मह्सूस करते हैं.
मैंने हुसेन के नंगे पैरों पर कई तरह की बातें और जिज्ञासाएं सुनी हैं लेकिन फ़राह की चिंता उन सब से अलग है.

बहरहाल छिब्बरजी ने बताया कि जब वो ड्राइविंग लायसेंस के लिये गये तो अफ़सर ने उनसे कहा- अपने दोनों हाथ ऊपर करो!
पता चला कुछ ऐसे लोगों को को भी ड्राइविंग लायसेंस इश्यू किये गये हैं जिनके दोनों हाथ नहीं हैं.

3 comments:

अफ़लातून said...

छिब्बरजी PUCL वाले ?

इरफ़ान said...

श्री विजय दीपक छिब्बर एफएम में पेक्स हैं.

Rising Rahul said...

जब दिल्ली आना था तो झक मारकर मुझे भी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना पड़ा। आरटीओ के दफ्तर के बहार करीब अध घंटा बैठा रहा और लाइसेंस मिल गया। कोई टेस्ट नही और न ही कोई पूछने वाला मिल कि कैसे इतनी जल्दी मिल गया। दलाल को ३०० दिए थे तो उसी ने सारा काम कुछ ही देर मे करवा दिया। खैर मैं तो गाडी बहुत सावधानी से चलाता हूँ लेकिन उनका क्या जिनके हाथ होते हैं और ये हाथ वो लोगों को मरने मे काम लाते हैं। गाड़ियों से ...