दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Sunday, June 3, 2007

घूम-घूम के नाचो आज






पिछले महीने 'कतरनें भी कुछ कहती हैं' में अपने वर्षों से संचित कबाड के लिये एक व्यवस्थित रैक बनाते हुए कुछ EPs और LPs के कवर्स हाथ आए थे. यारों ने उन्हें देखकर ज़रा कुतूहल में फ़ोटो खिंचाया तो हम भी इतराने लगे.
यहां सब EPs(Extended Play Records)के कवर्स ही हैं आज. इनकी वर्गाकृति 7" X 7.1" होती थी.रिकॉर्ड का व्यास 17 सेमी होता था. इनमें आम तौर पर दो-दो गाने दोनों तरफ़ होते थे यानी चार गाने.कभी-कभी एक ही गाना पहली तरफ़ ख़त्म होकर दूसरी तरफ शुरू हो जाता था. रख रखाव में ये रिकॉर्ड्स थोडी सावधानी की मांग ज़रूर करते हैं लेकिन बडे थेथर होते हैं. 80 के दशक में इनकी क़ीमत 10 रुपये से लेकर 16 रुपये तक होती थी. ईएमआई-एचएमवी, पॉलिडोर, कॉंकॉर्ड, फ़िलिप्स और हिन्दुस्तान रिकॉर्ड्स इस क्षेत्र के प्रमुख खिलाडी थे.90 के पूर्वार्द्ध तक भी ये चलन में बने हुए थे.मैने फिल्म याराना का एक रिकॉर्ड कनॉट प्लेस की ब्लू बर्ड दुकान से नब्बे रुपये का खरीदा था.बाद में और अब भी ये हमें दिल्ली के मशहूर कबाडी अड्डों से कौडियों के मोल मिलते रहे हैं.सुधी श्रोता और संग्राहक, भी अब धीरे-धीरे शायद ये मानते जा रहे हैं कि मैं इन रिकॉर्ड्स के लिये उपयुक्त पात्र हूं क्योंकि इनमें से कई मुझे फ़ोन करते हैं कि मै उनके संग्रह से अपने काम की चीज़ें ले जाऊं.जहां तक इनके कवर्स का सवाल है, तो आप ये देख ही रहे हैं कि इनमें डिज़ाइन की एक निजी शैली की छाप है.तब इतने विकसित डिज़ाइन सॉफ्ट्वेयर्स नहीं थे लेकिन हर डिज़ाइन की अपनी एटमॉस्फ़ेरिक फ़ील है.इनके डिज़ाइनर्स में मोहन मुरली और बानीब्रत के अलावा भाषा आर्ट प्रोमोशन के नाम खूब दिखाई देते हैं.मैं चाहता हूं कि अगर आप मोहनमुरली और बानीब्रत के बारे में ज़्यादा कुछ जानते हों तो हमें लिखें.


काला पानी






काग़ज़ के फूल






लव इन शिमला





कोई जीता कोई हारा





जोगन





जनता हवलदार





जलन






लुबना




लडाकू





लाखन






क़ुदरत




ख़ून पसीना





कटी पतंग




करवा चौथ

10 comments:

Yunus Khan said...

इरफान भाई अच्‍छा है ये प्रस्‍तुतिकरण । अब हम भी इस श्रृंखला में शामिल हो जाते हैं । कम से कम तस्‍वीरें तो सहेज लें पुराने रिकॉर्डों के कवर की । क्‍या पता फिर रहें ये या ना रहें ।
जल्‍दी ही मेरी ओर से भी एक प्रस्‍तुति का इंतज़ार करें ।

Dr Prabhat Tandon said...

बहुत ही नायाब कलेक्शन ! मेरे पास भी काफ़ी रिकार्डों का कलेक्शन है लेकिन क्या करें रिकार्ड प्लेऐर की जो सुई टूटी तो अब तक लखनऊ मे न मिली . देख कर बहुत अच्छा लगा कि कोई तो है जो इस धरोहर को संभाल के रखे है.

VIMAL VERMA said...

बड़ा सम्भाल के रखा है आपने.अब तो ये गये ज़माने की बात हो कर रह गयी है.टूते हुए तावे को और भोपू के सामने कुत्ते को लम्बे अर्से बाद देखा तो यकबयक पुरानी याद ताज़ा हो गयी. शुक्रिया

Yunus Khan said...

प्रभात जी आप स्‍थानीय आकाशवाणी केंद्र के किसी व्‍यक्ति की मदद लें । शायद उन्‍हें पता हो कि आसपास रिकॉर्ड का स्‍टाईलस कहां मिलता है ।
आप इतनी दूर हैं लखनऊ में वरना मुंबई के अड्डे तो मैं ही बता देता । इरफान भाई आप दिल्‍ली से प्रभात जी को स्‍टाईलस दिलवा सकते हैं ।

इरफ़ान said...

Dear Yunus,
इरफान भाई आप दिल्‍ली से प्रभात जी को स्‍टाईलस दिलवा सकते हैं ।
If it is your order I am always there.Please specify the make of your player Mr Tandon! I'll do the needful.

Unknown said...

Dear brother, just stumbled upon your blog through Professor Amitava Kumar's. Wonderful. Hope you remember me. We did this radio interview on AIR FM on the documentary film, Indian Economic Transition through Bollywood Eyes. Cheers.

इरफ़ान said...

ज़फ़र भाई,
आपसे मुलक़ात की बडी सुनहरी यादें मेरे दिल में हैं.उम्मीद है कि आप खैरियत से हैं.भाई अमिताभ ने आपको यहां भट्काया इसके लिये माफी ही चाह सकता हूं.
इरफ़ान

मुनीश ( munish ) said...

saw ur profile. abey im also taurus . apke blog pe ye ghadi bhi zara purane andaz ki ,roman number vali hoti to aur char chand lag jaate!!!
munish

paint said...

its really good to see somebody in love with his or her work.achha hai..hit honey ke chances achhey hain. rajdeep

paint said...

achha hai....lekin thoda psitive look bhi dein..kon kehta hai ki poorani beshkeemti cheez sirf "tooti hui ya bikhri hui he hoti hai"???? aap hain to sahi ..bilkul ek piece mein.wo baat alag hai ki aapkey marney ke baad..aap ke andar bhoosa bharkar rakhney ke liye duniya ke sarey museam's mein ladaai ho sakti hai..khair mujhey pata hai..aap ke marney ke baad aap ke naam sirf ek memorial cricket tournament he hoga (city level ka).kya bakwaas likh raha hu main..yahi hota hai kisi bhi intilectual(spelin par dhayan na dein)blog par aaker..khair kul milakar aapney woh kar hi diya jo aap karna chahtey they..good. i liked it. rajdeep.