दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Thursday, June 7, 2007

कहां से आती है चतुराई उर्फ़ टाइटल सुझाओ ना !

कल मैंने रघुवीर सहाय की कविता यहां जारी की. यह मेरी कुछ प्रिय कविताओं में से एक है. जब कविता डाल चुका तो सोचा आइज़ेंस्टाइन की वो दुर्लभ तस्वीर भी आपके सामने रखूं और अपने वर्षों के संजोये हुए सरमाए में आपको साझीदार बनाने का सिलसिला बनाए रखूं. जब आइज़ेंस्टाइन की ये तस्वीर लगा चुका तो पोस्टिंग पेज का टाइटल वाला कॉलम कहने लगा कि यहां कुछ लिखो. मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था तो लिख दिया टाइटल सुझाओ न! अब इस संदर्भ को समझने के बाद आप समझ ही गये होंगे/गी कि इस आइज़ेंस्टाइनवाली पोस्ट का मुख्य उद्देश्य आपसे फोटो का टाइटल आमंत्रित करना कम पोस्ट का टाइटल आमंत्रित करना अधिक था. बाज़ारवाला इसमें कोइ चतुराई सूंघ रहे हैं और सशंकित हैं कि मुझे कमेंट क्यों मिलने लगे. क्या ये एक हमपेशा भिखारी की ईर्ष्या है जो कलीग को मिलने वाली भीख देखकर बेचैन हो जाता है? ये सवाल मैं सिर्फ बाज़ारवाला से पूछ्ना चाहता हूं.
बहरहाल हुआ भले ही एक गैप के कारण हो, लेकिन है दिलचस्प इत्तेफ़ाक़. वो सब साथी जो इस ग़ैरइरादी शीर्षक सुझाओ प्रतियोगिता में बिना ये सुने शामिल हो गये कि "इसमें जीतने पर मिलेगा आपको कोइ गिफ़्ट हैम्पर, इनामी कूपन या गोआ मे तीन दिन और चार रातें बिताने का मौक़ा" मैं आप सभी का आभारी हूं और यहीं मुझे इस बात से बल मिलता है कि इस क्रम को आगे बढाया जाए. क्या हर्ज है! गुज़रे ज़माने में कई नामी-बेनामी छोटी-बडी पत्रिकाएं और अखबार इस काम को करते रहे हैं और हममें से कई इस या उस रूप में इस तरह की शीर्षक सुझाओ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहे हैं. क्या इसमें कोइ बुराई है,भाई बाज़ारवाला?
तो पेश है ये तस्वीर. इसका शीर्षक सुझाइये. इस बार मैं सचमुच फोटो का ही शीर्षक आमंत्रित कर रहा हूं.

7 comments:

Mohinder56 said...

"आसंमा छूने की चाह में"

Rising Rahul said...

आप तो नाराज़ होने लगे . ऐसे नाराज़ नही होते . ये ब्लॉग की दुनिया का नियम है की नाराज़ नही होते. और हाँ , जो आप मानते हैं वही होता है . क्योंकि उसके इतर आप मानने मे तकलीफ़ महसूस करते हैं इसलिए उसे मानने के लिए तैयार ही नही होते. कही आपके साथ भी तो ऐसा कुछ नही है ?

Rising Rahul said...

लेकिन हाँ , आपको ये तो मानना ही पड़ेगा कि आपने दो पैरा मुझपर ख़राब किए हैं , जिनसे शायद ही कुछ होने वाला है .

Rising Rahul said...

टाइटल :- कितने दिन बाद

Anonymous said...

ज़रा देखूं तो..!

मुनीश ( munish ) said...

sheershak; AAM ke AAM guthliyon ke daam.

pawan lalchand said...

hisse ki dhoop ki talaash