रामदेवरा का मेला एक विशाल मेला है. लाखों की संख्या में लोग यहां जुटते हैं. यहां पहुंचने वालों में ज़्यादातर वो लोग होते हैं जिन्हें नीची जात का कहा जाता है. इनमें मेघवाल, चमार, भांभी, भील, भाट, बंजारे और कामद होते हैं. ये मेला जैसलमेर के पास कहीं लगता है. रेलों में भीड देखने लायक़ होती है.
सितंबर के पहले पखवाडे में राजस्थान का हर रास्ता रामदेवरा को जा रहा होता है. रामदेवरा के बारे में लोककला मंडल उदयपुर से पता चलता है कि 'वे तंवर राजपूत थे, उनका समय 1404 से 1458 है. उन्हें रामदेव बाबा, राम सा पीर, रुणेजा रो धणी और धोती धजा रो धणी भी कहा जाता है. यह मेला जैसलमेर के रुणेजा / रामदेवरा में लगता है.राजस्थान के अलावा गुजरात और मध्य प्रदेश से भी लोग यहां पहुंचते हैं.' रमेश थानवी के मुताबिक़ ये रामसा पीर कोई मुस्लिम संत है, रामदेवरा में उसकी मज़ार है.
लोकमान्यता है कि रामदेवरा जाने के लिये ट्रेन के दो टिकट लेने चाहिये, यानी एक अपना और एक रामदेव बाबा का. कुछ लोग रामदेव के घोडे का भी टिकट लेकर चलते हैं.जैसलमेर के पास किसी छोटे से गांव में रामदेव के घोडे की रुई या कपडे की नन्हीं प्रतिकृतियां बनती हैं और लोग एक नन्हां घोडा खरीद कर रामदेव या रामसापीर की मज़ार पर चढाते हैं.
यहां रामदेवरा जानेवाली एक ट्रेन का फोटो है जिस पर दो बार चट-चट करने से ये ठीक से देखा जा सकेगा.फोटो सात साल पहले सितंबर में राजस्थान के एक स्थानीय अख़बार में छपा था.
7 comments:
जातिप्रथा पर जिब जिन लोगो ने प्रहार किया उनमें रामदेव भी थे. इससे भी आगे बढ़ कर रामदेवजी हिन्दू-मुस्लिम दोनो धर्मावलम्बियों के लिए पूजनीय है.
रामदेवजी राजस्थान की लोक कथाओं के नायक भी है. हमने बचपन में उनके किस्से मजे ले ले कर सुने है :)
यही एक जगह है जहाँ सभी जाति व धर्म के लोग एक कतार में खड़े होते है.
खम्मा खम्मा खम्मा बाबा रामसा पीर ने...
रामदेवरा मेला एक जन मेला है. हर जाती धर्म के लोग प्रेम भक्ती भाव से हर साल से इक्कठा होते हैं.
मेला पुरे दस दिनो तक चलता है. और खासियत ये कि लाखो लोग सैकडो किलोमीटर पैदल चल कर पहुचते है..
बाबा रामदेव के मेले के बारे में पढ़कर मन धन्य हो गया. यह संयोग ही है कि मैंने कल ही भारत का टिकिट रिज़र्व करवाया और मन में यह धारणा की कि बाबा रामदेव के यहां जाना है.
बाबा रामदेव को विष्णु का अवतार भी माना जाता है. उन्होंने राजस्थान में हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए अपना जीवन समर्पित किया था. संत कबीर की तरह ही उनके देह त्यागने पर जब अंतिम संस्कार को लेकर हिंदू-मुस्लिम भक्तों में विवाद शुरू हुआ तो बाबा रामदेव का शरीर ईश्वर में विलीन हो गया और वहाँ सिर्फ़ पुष्प रह गए. उनकी समाधि इन्हीं पुष्पों को लेकर बनाई गई. कहते हैं मक्का से आए कुछ मुस्लिम विद्वानों ने उन्हें रामदेव पीर की उपाधि दी थी.
पिछले दस वर्षों से पत्रकारिता में हूं और हर क्षण बाबा रामदेव ने मेरा मार्गदर्शन किया है. सच ही है कि बाबा के यहां जाने वाले भक्त के साथ वे स्वयं होते है. मैंने इसे अनेक बार अनुभव किया है.
रुणेचा रा राजा
अजमाल जी रा जाया
राणी नेतल रा भरतार
मारो हेलो सुणो जी रामा पीर हो।
बाबा रामदेव के बारे में रमेश थानवी का कहना सरासर गलत है, बाबा रामदेव मुस्लिम नहीं थे पर हिन्दू मुसलमानों दोनों द्वारा पूजे जाते हैं।
जहाँ हिन्दू बाबा रामदेव को पूजते हैं वहीं मुस्लिम रामदेव पीर को।
अनाम जी की टिप्प्णी भी सही नहीं है, बाबा रामदेव जी ने जीते जी समाधि ली थी ना कि उनका निधन हुआ था।
शायद आपको पूरी जानकारी नहीं है कि बाबा ने अपनी समाधि से पूर्व कहा था कि कुछ भी हो जाये मेरी समाधि को खोलना मत। समाधि के बाद किसी ने बाबा के दर्शन किये और जब वे रुणीचा में आये तो मानने को तैयार नहीं थे कि बाबा जीवित नहीं है और इसी जिद के चलते समाधि खोलॊ गई और बाबा के श्राप के चलते समाधि को खोदने वाले लोगों की पीढ़ियाँ आज भी मंदिर के बाहर प्रसाद की भीख मांग कर अपना गुजारा करती है।
प्रिय इरफान भाई
आपके द्वारा ब्लॉग में दी गयी जानकारी सही नहीं है.
आपने लिखा है कि "यहां पहुंचने वालों में ज़्यादातर वो लोग होते हैं जिन्हें नीची जात का कहा जाता है".
यह बिलकुल गलत है बाबा के मंदिर में जात पात का कोई स्थान नहीं है.....
फिर आपने लिखा है कि "' रमेश थानवी के मुताबिक़ ये रामसा पीर कोई मुस्लिम संत है, रामदेवरा में उसकी मज़ार है."
जब तक किसी बात की पूरी जानकारी नहीं हो उसे आपको अपने ब्लॉग में नहीं लिखना चाहिए....आशा करता हूँ कि आप मेरी बात समझ रहे होंगे... घणी घणी खम्मा
PRIY IRFAN BHAI MAIN KHUD RAMDEVRA KA NIWASI HUN AUR MAIN AAP KE RAMDEVRA MELE KE PRATI LAGAAV DEKH KAR KHUS HUA
LEKIN MAIN AAP KO EK SUJHAAV DENA CHAHATA HUN KI AAP NE JO IS BLOG MAIN DHOTI DHAJA RA DHANI LIKHA HAI VO SAHI NAHI HAI BALKI DHOLI DHAJA RA DHANI SAHI SENTENCE HAI AUR JO RAMESH THANAVI NE KAHA HAI VO BHI BILKUL GALAT HAI
KRIPYA AAP MERE SUJHAVO KI AUR DHYAN DE
ADHIK JAANKARI KE LIYE VISIT KARE www.ramdevdarshan.tk
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