दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Thursday, June 14, 2007

आईना दर आईना


अगर हम चीज़ों को उनके असली नाम से पुकार सकते होते तो देशप्रेम को हम युद्धोन्माद पुकारते, देश पर शहीद हो गये को हम कहते मासूम युवकों को बलि चढाया जा रहा है, अख़बार लिखता कि अमुक ने कथित रूप से हत्या की, तो हम पढते अमुक को बचाया जा रहा है

3 comments:

dhurvirodhi said...

देशप्रेम शब्द ही मानवता के विपरीत है. दरअसल अपने देश, प्रान्त या भाषा को बड़ा या प्यारा कहने के पीछे हमारा खुद अपने को बड़ा कहने की चाह ही है.

संजय बेंगाणी said...

देश प्रेम युद्धोन्माद है तो देशप्रेमी युद्धोन्मदी हुए. शहीद देशप्रेमी होते हिअ. यानी शहीद युद्धोन्मादी होते है, ऐसे में वे मासूम कैसे हुए?

मुनीश ( munish ) said...

to kya hua? all history of mankind is history of wars. this yudhdhonmad is essential for survival of a race!! otherwise see the miserable plight of Tibbetans.there was none more peace loving than them and c there status today.