सुबह-सुबह चाय का प्याला लेकर चिट्ठे पढ़ने का आनन्द बढ़ता जा रहा है। "मैं सड़क के किनारे बैठा हूं ड्राइवर पहिया बदल रहा है" बार-बार पढ़ने पर विवश सोच रही हूँ कि जीवन शायद ऐसा ही है कि हम समय का बदलता पहिया देखते रहते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं चाहे-अनचाहे।
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सुबह-सुबह चाय का प्याला लेकर चिट्ठे पढ़ने का आनन्द बढ़ता जा रहा है।
"मैं सड़क के किनारे बैठा हूं
ड्राइवर पहिया बदल रहा है"
बार-बार पढ़ने पर विवश सोच रही हूँ कि
जीवन शायद ऐसा ही है कि हम समय का बदलता पहिया
देखते रहते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं चाहे-अनचाहे।
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