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सी.रामचंद्र ग़ज़ब के आदमी रहे होंगे. सुनिये क़व्वाली के ट्रेडीशनल फ़ॉर्म को किस ख़ूबसूरती से उन्होंने यहां पेश किया है. गायक भी उन्होंने ट्रेडीशनल ही लिये हैं. रघुनाथ जाधव क़व्वाल और साथियों को इस कंपोज़ीशन में गाना कितना सुकून दे रहा होगा, ये तो वही जानते रहे होंगे. एक बार फिर आज़ाद(1955),शब्द राजेंद्र कृष्ण.
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