दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Saturday, September 8, 2007

झूम-बराबर झूम शराबी


आवाज़ों और ख़ुशबुओं में क्या जादू है कि वो आपकी गुज़री यादें ताज़ा कर देती हैं. अब सुनिये ये क़व्वाली और पहुंच जाइये पच्चीस-तीस साल पुराने एक दौर में. आवाज़ें हैं अज़ीज़ नाज़ां और साथियों की.











शब्द: नाज़ां शोलापुरी-------------------------संगीत: अज़ीज़ नाज़ां

3 comments:

Yunus Khan said...

वाह । इरफान भाई अज़ीज़ नाज़ां को इस एक गाने ने कितनी बुलंदियों पर पहुंचाया था ।
ग़ज़ब के इंसान भी थे वो ।
अफ़सोस हमें उनसे मिलने का सौभाग्‍य नहीं मिला।

Sanjeet Tripathi said...

अल्टीमेट है यह तो!!

राज भाटिय़ा said...

इरफ़ान भाई मे पीता नही हु, लेकिन बरसो बाद इस लाजवाब कव्वली को सुन कर सच मे नशे का आलम बन गया. धन्यवाद