टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Tuesday, September 25, 2007
कविता निजी मामला नहीं है
कविता आदमी का
निजी मामला नहीं है
एक दूसरे तक पहुंचने का पुल है
अब वही आदमी पुल बनाएगा
जो पुल पर चलते आदमी की
सुरक्षा कर सकेगा.
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कुमार विकल
एक छोटी सी लड़ाई
2 comments:
Udan Tashtari
said...
बढ़ियाँ.
September 26, 2007 at 2:20 AM
सुबोध
said...
कविता को लेकर बिल्कुल दुरुस्त दर्शन
September 30, 2007 at 1:57 PM
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2 comments:
बढ़ियाँ.
कविता को लेकर बिल्कुल दुरुस्त दर्शन
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