दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Sunday, September 23, 2007

आरामदेह गाड़ी में सफ़र

खुले इलाक़े में एक बरसाती सड़क पर
एक आरामदेह गाड़ी में सफ़र करते हुए
शाम को हमने एक फटेहाल आदमी को
कोर्निश करते हुए गाड़ी में बिठाल लेने का
इशारा करते हुए देखा

कार की छत थी और अंदर भी काफ़ी जगह थी और हम चलते रहे
और मैंने मुझे चिड़चिड़ी आवाज़ में कहते सुना: नहीं हम किसी को अपने साथ नहीं ले सकते

हमने काफ़ी सफ़र तय किया, शायद एक दिन के कूच का

कि अचानक मुझे अपनी उस आवाज़ से
अपने उस बर्ताव से
और इस पूरी दुनिया से धक्का लगा.

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बर्तोल्त ब्रेख़्त
1937

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