स्वागत कॉमरेड कवि
कब सुना सकेंगे हमें अपनी कविताएं
काम ख़त्म होने के बाद चलेगा
काम ख़त्म होने के बाद लोग
थके होते हैं
हड़बड़ी होती है उन्हें अपने घर पहुंचने की
सनीचर कैसा रहेगा
सनीचर को लोग काम निपटाते हैं
धोना-सीना करते हैं
और चिट्ठियां लिखते हैं--घर
इतवार को चलेगा
इतवार को लोग घरों से निकलते हैं
जवान लोग अपनी छोकरियों से मिलने
बुज़ुर्ग स्टेशनों को
अपनी रेलों का इंतज़ार करने के लिये
तो वक़्त नहीं है आपके पास कविता के लिये
वक़्त नहीं है हमारे पास देख ही रहे हो तुम
तो भी निकालेंगे मिलके अपन-तुपन.
वास्को पोपा
यूगोस्लाविया,1922
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अनुवाद: सोमदत्त
1 comment:
जबर्दस्त.
और कुछ नहीं भाई, बस यही...
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