सी.रामचंद्र एक बाग़ी संगीतकार थे, इस बात से मैं सहमत हूं.
सुनिये आज़ाद (1955) का ये गीत. लिखा है राजेंद्र कृष्ण ने.
लता मंगेशकर मेरी पसंदीदा गायिकाओं में नहीं हैं लेकिन ऊषा मंगेशकर ने इस गाने में एक अलग ही जोश भर दिया है.
मेरी पसंद श्रूंखला की चौथी कड़ी.
3 comments:
अबलम, टबलम....वाह, बहुत दिनों बात सुना यह सुन्दर नगमा. आभार आपका.
अहा हा.
बहुत खूब.
क्या ख़ूब संगीतकार थे सी रामचंद्र . आपने तो आज आनंद कर दिया .
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