दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Saturday, September 8, 2007

मेरी पसंद के गीत- छः


यूं तो मोहम्मद रफ़ी के गाये गीतों की यारों के दिल में बहुत जगह है लेकिन मेरे लिये उनका ये गीत उनके बहुत से गीतों पर भारी है.फ़िल्म ऊंचे लोग (1965)
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जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी वस्ल-ए-यार की
बसी हुई ज़ुल्फ़ में आयी है सबा प्यार की - २
जाग दिल-ए-दीवाना

दो दिल के कुछ लेके पयाम आयी है
चाहत के कुछ लेके सलाम आयी है - २
दर पे तेरे सुबह खड़ी हुई है दीदार की
जाग दिल-ए-दीवाना ...

एक परी कुछ शाद सी नाशाद सी
बैठी हुई शबनम में तेरी याद की - २
भीग रही होगी कहीं कली सी गुलज़ार की
जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी वस्ल-ए-यार की
बसी हुई ज़ुल्फ में आयी है सबा प्यार की
जाग दिल-ए-दीवाना








गीत: मजरूह सुल्तानपुरी---------------------------------------संगीत: चित्रगुप्त

1 comment:

Pratyaksha said...

वाह ! वाकई मधुर गीत