दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Tuesday, September 4, 2007

संगीत का वह संसार जिसमें हम पले-बढ़े


पेश है हमारे भावबोध का निर्माण करने वाली सांस्कृतिक हलचलें. इस श्रृंखला की पहली कड़ी.






2 comments:

Reyaz-ul-haque said...

रह नहीं सकता अब. कमाल है भाई. आप लगता है जिंदा नहींए रहने दीजिएगा.

एगो काम कीजिए न. इसका डाउनलोडिंग लिंक (अगर यह संभव हो, किसी को ऐतराज़ न हो तो) दीजिए ना, न हो तो मेल से ही.

इंतज़ार मत करवाइएगा भाई. बरदास नहीं हो रहा.

पारुल "पुखराज" said...

बहुत खुशी हुई ये अनमोल गीत सुनकर्॥बहुत धन्यावाद आपको हो सके तो गीत के बोल भी यहां पोस्ट करें।