अपने हाथों का तकिया बना लो.
आकाश अपने बादलों का
धरती अपने ढेलों का
और गिरता हुआ पेड़
अपने ही पत्तों का तकिया बना लेता है.
यही एकमात्र उपाय है
गीत को ग्रहण करने का
निकट से उस गीत को जो
पड़ता नहीं कान में,
जो रहता है कान में.
एकमात्र गीत जो दोहराया नहीं जाता.
हर व्यक्ति को चाहिये
एक ऐसा गीत जिसका
अनुवाद असंभव हो.
रोबर्तो हुआरोज़ अर्जेंटीना,1925
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अनुवाद:कृष्ण बलदेव वैद
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