दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Wednesday, August 29, 2007

उदय प्रकाश की कविताएं: आख़िरी क़िस्त


एक लेखक दरबदर

मरना










वसंत









व्यवस्था









कुतुबमीनार की ऊंचाई









करीमन और अशरफ़ी









चंकी पांडे मुकर गया है









एक भाषा हुआ करती थी






6 comments:

VIMAL VERMA said...

भाई इरफ़ानजी, जिन कविताओं को अभी तक पढ़ा था उसे सुनने का मज़ा ही कुछ और है.. अच्छा है आपका प्रयास लगे रहें.......

Anonymous said...

जब मैं लखनऊ विश्वविद्यालय में था तब आप लोगों की बनाई पोस्टर प्रदर्शनियों में ये कविताएं देखा करता था यहां इन्हें पढ़ कर अच्छा लगा. क्भई मुक्तिबोध की कविताएं भी दें.

Anonymous said...

aapne bade parishram se yah kavitaaye hamare liye yahaan prastut kee hai, bade punya kaa kaam hai.

Anonymous said...

कौन कहता है कि आजकल के कवियों को काव्यपाठ करना नहीं आता. जो कहता है उसे इनकवितां को सुनना चाहिए.बधाई. उदय प्रकश का फ़ोन नंबर दे>

Anonymous said...

बहुत शानदार कविताये...उदय प्रकाश का फोन नम्बर दीजिये...

इरफ़ान said...

भाई Anonymous फ़ोन नंबर तो नहीं लेकिन ई-मेल का पता भेजता हूं. आप ख़ुद ही पूछ लें- कविताएं सुनने और लिखने के लिये आप सब का आभार. udayprakash7@hotmail.com