हिंदी कवियों में आज वीरेन डंगवाल का नाम बड़ी ही इज़्ज़त से लिया जाता है. वो न सिर्फ़ शानदार शायर हैं, जानदार आदमी भी हैं. "यार मैं भी कितना बड़ा चूतिया हूं" कह कर एक पल में आपको अपनी आभा से बाहर पटक देते हैं. आभा बनाने की उन्होंने कभी कोशिश नहीं की, वो तो उन्हें अपनी कविताओं से ही हासिल है. सुनिये वीरेन दा की कविताओं मे से एक कविता "कुछ नई क़समें", जो चार-एक साल पहले उन्होंने अपनी किताब दुष्चक्र में सृष्टा के रिलीज़ फ़ंक्शन में सुनाईं थीं.
2 comments:
Theek hi toh kahte hain aap..."jo cheez tu hai koi aur nahin!"
irfaan bhai...plz is kavita ko refresh ya update kar dijiye... kai baar khlne ka prayas kiya...sunne ki badi ichcha hai.
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