टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Wednesday, August 15, 2007
वीरेन डंगवाल की एक और कविता
वीरेन डंगवाल के प्रिय कवि शमशेर बहादुर सिंह को समर्पित उनकी यह कविता.
2 comments:
Udan Tashtari
said...
बहुत बढ़िया.
August 15, 2007 at 11:30 PM
Unknown
said...
जनाब, ये सुना नहीं रहा कविता
October 12, 2015 at 12:28 PM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
बहुत बढ़िया.
जनाब, ये सुना नहीं रहा कविता
Post a Comment