गर्मियों की छुट्टियां घर में ही कट रही थीं. अब सारा फ़ोर्थ में थी. छुट्टियों की मस्ती में कभी कभी लिखने-पढने की सज़ा मिल जाती तो मुंह उतर जाता. फिर ये छूट मिली कि जो मन में आये लिखो. तो उसने जो लिखा था उससे एक चयन यहां पेश किया जाता है.ये मेरी बड़ी बेटी है.
एक
हलो मेरा नाम राहुल है.मै एक नदी के किनारे रहता हूं.नदी के पीछे पहाड हैं और उसके आगे झरना है. मेरे घर के सामने एक छोटी सी पहाडी है जो मुझे बहुत प्यारी लगती है. मेरा एक अपना कमरा है. कमरे में एक बिस्तर है उसमें एक तकिया है. आज मैं अपना हरा लिहाफ़ ओढकर सोया था और कल मै ६ बजे ही सो गया था. और आज मैं ६ बजे ही उठा हूं. आज मैंने सूरज ऒरेंज और रेड देखा और आज मैंने दो चिडियां देखीं जो यलो रंग की थीं.
दो
एक लड़का था. उसका नाम था राजाराम. वह बहुत शैतान था. एक दिन वह अपने स्कूल से आ रहा था. उसकी याददाश्त गई हुई थी. एक दिन वह एक पागल को चिढाने लगा. पागल के पास एक लकडी थी तो उसी लकडी से उस लडके को मारना शुरू कर दिया. मारते-मारते वह मर गया तो उसे डाक्टर के पास ले गये, आपरेशन थियेटर बंद. फिर डाक्टर से कामवाली ने पूछा आप यहां क्या कर रहे हैं. चुप तू कौन है तुझे दिखाई नहीं देता बच्चे के सिर से ख़ून निकल रहा है और तुम पूछ रही हो कि आप यहां क्या कर रहे हैं.
तीन
एक दिन की बात है सर्दी के मौसम में एक भिखारी सड़क पर चला जा रहा था. उसका कुर्ता फटा हुआ था. उसकी धोती चिथडों जैसी थी और वह घुटनों तक ही पहुंच रही थी. वहीं कहीं एक लड़की अपनी मां के साथ खडी थी. भिखारी को देखकर लड़की ने अपनी मां से कहा कि मां बेचारे को कुछ दे दो. फिर वह अपनी मां से कई सवाल पूछ्ने लगी जैसे यह भूखा नंगा भिखारी सर्दी को कैसे सहता होगा ये कैसे भिखारी बना और किसने इसका हक़ छीना है?
फ़राह अभी पहली कक्षा में थी. उससे क्लास में गांधीजी पर प्रस्ताव लिखने को कहा गया. स्कूल में वह जो भी लिख कर आयी होगी लेकिन अगली रात उसने सोने से पहले लिखा. ये मेरी छोटी बेटी है.
गांधीजी का चरख़ा
एक दिन एक आदमी गांधी के दरवाज़े पर एक फ़ौज लेकर खड़ा था. कि गांधीजी निकल कर बाहर आये. उन्होंने बोला क्या बात है? आदमी ने मुंह लटकाकर बोला कि कुछ नहीं. इतना सुनकर उन्होंने अपना चरख़ा दे दिया और वह हाथ हिलाये आदमी भी हाथ हिलाया.
३-१०-२००६
5 comments:
सारी कहानियाँ बहुत प्यारी.. दोनों बिटियाँ भी.. उनको मेरी ओर से ढेर सा दुलार दिया जाय..
बहुत खूबसूरत ईरफ़ान भाई..!
यह फोटो आपने ही लिये हैं सम्भवतः..?
अरे इतनी प्यारी बच्चियाँ और इतनी बढ़िया कल्पना ! मजा आ गया पढ़ कर !आशा है ये ऐसे ही अपनी कल्पनाओं को शब्द देती रहेंगीं ।
घुघूती बासूती
सारा की सभी कहानियां भावप्रवण बाल मन की सच्ची अभिव्यक्ति हैं .
पर गांधी जी पर फ़राह की टिप्पणी तो अद्भुत है . इस टिप्पणी को सभी बड़ों को पढना चाहिए . बार-बार पढना चाहिए . गांधी को समझने के नए सूत्र हाथ आएंगे . गांधी के व्यक्तित्व का न्यूक्लियस -- नाभिक -- है वहां .
सारा और फ़राह से मिलकर अच्छा लगा।
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