दिनेश कुमार शुक्ल कवि हैं और प्रशासक भी. उनकी कविताएं अपनी अनोखी छंद योजना और ध्वन्यात्मक प्रभाव के साथ गहरे भाव सृजित करती है. पांच साल पहले उनके घर पर ही उनकी सुधरती स्वास्थ्य स्थितियों के बीच मैने भाई केके पांडेय के साथ स्वयं उनके स्वर में कई कविताएं सुनीं. आप भी इस संग्रह से सुनिये यह कविता.
6 comments:
Anonymous
said...
धन्यवाद ,इरफ़ान भाई।क्या आप 'जनमत' में प्रकाशित राजेन्द्र राजन की कविताएं मुझे भेज सकते हैं? केके भाई को एक बार फोन पर कहा था,कई माह पहले।
बहुत अच्छा लगा मालगाड़ी का तिलस्म. यह तिलस्म हमारी जिन्दगी का हवा-पानी-भोजन है. उठना बैठना है. सो पसन्द आना लाजमी है. दिनेश जी की आवाज में कविता पाठ अच्छा था - याद रहेगा. आपका ब्लॉग पहली बार देखा और पहली बार में ही जम गया.
ट्रेन को लेकर कई कविताएं और गीत लिखे गये हैं. अगर कुछ ऐसी कविताओं की सूची बनाई जाए जिनमें मानव की भावनाएं अपनी सघनता में आई हैं तो यह कविता उनमे ऊपर रहेगी.बधाई पहुंचाइये. सुनील भारती
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धन्यवाद ,इरफ़ान भाई।क्या आप 'जनमत' में प्रकाशित राजेन्द्र राजन की कविताएं मुझे भेज सकते हैं? केके भाई को एक बार फोन पर कहा था,कई माह पहले।
इतनी अच्छी कविता दिनेशजी के आवाज़ में सुनाने का शुक्रिया।
बहुत अच्छा लगा मालगाड़ी का तिलस्म. यह तिलस्म हमारी जिन्दगी का हवा-पानी-भोजन है. उठना बैठना है. सो पसन्द आना लाजमी है.
दिनेश जी की आवाज में कविता पाठ अच्छा था - याद रहेगा.
आपका ब्लॉग पहली बार देखा और पहली बार में ही जम गया.
अरे नहीं. देवकीनन्दन पाण्डे वाली पोस्ट पर पहले आ चुका हूं!
Yes I have heard many times about Dinesh Shukla's poetry but got first chance to listen it.Thanx.Its superb.
ट्रेन को लेकर कई कविताएं और गीत लिखे गये हैं. अगर कुछ ऐसी कविताओं की सूची बनाई जाए जिनमें मानव की भावनाएं अपनी सघनता में आई हैं तो यह कविता उनमे ऊपर रहेगी.बधाई पहुंचाइये.
सुनील भारती
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