आशा का गीत : गोरख पाण्डेय की रचना, उनके ही स्वर में
गोरख पांडेय की यह रचना उनके ही स्वर मेँ सुनी जा सकती है - ऑडियो सीडी 'आएंगे अच्छे दिन' मेँ .
सुनिये गोरखजी की एक और कविता. यह भी मार्च 2007 में 'आएंगे अच्छे दिन' नाम की ऒडियो बुक में उनकी 16 कविताओं के साथ सुनी जा सकती है. प्राप्त करने के लिये लिखें- gorakhpurfilmfestival@gmail.com पर या फ़ोन करें संजय जोशी को, 09811577426
सोचो तोस्वरइरफ़ान
वाह!वाह!वाह!कविता सुनने का ऐसा आनंद तो हमें थर्ड थियेटर के सक्रिय दिनों मे ही प्राप्त हुआ था.इस प्रस्तुति की अन्य कविताएं भी सुनवाएं. क्या आपने काज़ी नजरुल इस्लाम की कविताओ को भी सग्रहीत किया है? उनका भी सुनने का बड़ा आनंद है. एक बार पुनः कोटिशः धन्यवाद.
मुझे यह स्वीकार करने में कोई हर्ज़ नहीं लग रहा है कि धीरे-धीरे मैं आपके ब्लॊग का ऎडिक्ट होता जा रहा हूं. हर दिन कोई न कोई अप्रत्याशित अनुभ्व और आनंद मिलता है. आप लोगों ने जिस प्रकार की कविता प्रस्तुति की शैली विकसित की है उससे कविता पड़ने वाले लोगों को भी सीख मिलेगी. कृपया यह क्रम ज़ारे रखें.
कविता के वाचन के लिये सबसे पहली शर्त बताई गयी है कि आपको चहिये उसे मन में बसाएं. आपने यह शर्त पूरी कर ली है-सीधे मन से निकलती हुई कविता. तेवर बनाए रखें.
15 comments:
कविता सुनाने के लिए धन्यवाद।आवाज किसकी है?
वाह!वाह!वाह!कविता सुनने का ऐसा आनंद तो हमें थर्ड थियेटर के सक्रिय दिनों मे ही प्राप्त हुआ था.इस प्रस्तुति की अन्य कविताएं भी सुनवाएं. क्या आपने काज़ी नजरुल इस्लाम की कविताओ को भी सग्रहीत किया है? उनका भी सुनने का बड़ा आनंद है. एक बार पुनः कोटिशः धन्यवाद.
मुझे यह स्वीकार करने में कोई हर्ज़ नहीं लग रहा है कि धीरे-धीरे मैं आपके ब्लॊग का ऎडिक्ट होता जा रहा हूं. हर दिन कोई न कोई अप्रत्याशित अनुभ्व और आनंद मिलता है. आप लोगों ने जिस प्रकार की कविता प्रस्तुति की शैली विकसित की है उससे कविता पड़ने वाले लोगों को भी सीख मिलेगी. कृपया यह क्रम ज़ारे रखें.
अफ़लातून जी यह आवाज़ इरफ़ान की है.
Annonymousजी अगर आप तमीज़ सिखाएं तो मेहरबानी होगी.तरुण जी आभार.
ह्म्म्म..
वाह!!! क्या प्रस्तुतिकरण है! ब्लॉग में शायद पहली बार। कृपया आगे भी लाएं। आपकी आवाज़ तो दूरदर्शन पर कई मर्तबा सुनी है।
बहुत बहुत साधुवाद.आप तो छुपे रुस्तम निकले?
Its really superb.With all nuances of modern poetry.Congrts.
बहुत बढिया रहा जनाब यह प्रस्तुतिकरण. अभी एक बार सुना है. पुनः सुनुँगा, यह भी तय जानिये. और लाईये. आभार एवं साधुवाद.
कहीं सुना था कि अगर कविता या कहानी सुनना है तो आप्से सुनना चाहिये. यह सुनकर तो ऐसा नहीं लगा.अच्छा पढा है आपने लेकिन जैसा मैं पढता हूं वैसा नहीं.
बढिया इरफ़ान भाई
कमाल है. आपने पेश भी अच्छी तरह किया है. कुछ और कविताएं भी सुनाइए न. मैना और दूसरी कविताएं.
अब तो मन कर रहा है कि मैं भी एक कविता लिखूं और आप ही उसे प्रस्तूत करें. बार बार .
कविता के वाचन के लिये सबसे पहली शर्त बताई गयी है कि आपको चहिये उसे मन में बसाएं. आपने यह शर्त पूरी कर ली है-सीधे मन से निकलती हुई कविता. तेवर बनाए रखें.
पहली टिप्पणी से मै भी सहमत हूं,इसे अन्यथा ना लें,पर ये सब कहने के लिये अनाम होना, कैसी मज़बूरी है !!!
विमल भाई आपसे मार्ग निर्देशन मिले तो मैं अपने कविता वाचन में सुधार करूं. कृपया लिखें.
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