दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Friday, August 24, 2007

सुनिये- मेरी कमी होगी...



आज यूंही ब्लॊगलियों में आवारा भटक रहा था। अचानक नज़र पड़ी मेरी कमी होगी... याद आया कि ये गीत तो मेरे पिछले कई शोज़ ्का पसंदीदा गीत है। तो पेश है ये गीत भाई नीरज और आप सभी प्रेमी श्रोताओं को सप्रेम।







4 comments:

Sagar Chand Nahar said...

बहुत सुन्दर गज़ल ... इरफान भाई मजा आ गया।
www.mahaphil.blogspot.com

Udan Tashtari said...

इरफान भाई, यह गीत गाया किसने है, बहुत अच्छा लगा. धन्यवाद प्रस्तुति का.

Poonam Misra said...

लिखे बिना नहीं रह सकी बहुत खूबसूरत गज़ल,बहुत सुन्दर संगीत और नशीली आवाज़.शायद पाकिस्तान की कोई गायिका हैं.बार बार सुना

aarsee said...

महकती गज़ल--गुलशन के बहारों में