ऐसे बेशर्म आशिक है ये आज के इनको अपना बनाना गज़ब हो गया हमारे घर के पास एक साउंड सिस्टम की दुकान थी। अक्सर सुबह-सुबह यह कव्वाली उसके लाउडस्पीकर से सुनने को मिलती थी। आपने बचपन के वो दिन याद दिला दिये। क्या अल्फाज़ हैं। पहली बार इतना ध्यान से सुना। इरफान भाई बधाई। अभी दो बार सुन चुका हूं। डाउनलोड करने का जुगाड़ बताइये। नासिरूद्दीन
भाई हमे तो बहुत मजा आया इसे सुनकर। शायद २५-३० साल बाद सुन रहे है। लगता है आज के संगीतकारों ने इसे सुना नही है वरना उन्हें समझ आता कि असली कव्वाली किसी कहते है।
7 comments:
धन्यवाद इरफान भाई इस कव्वाली के लिये। कुछ इसके बारे में लिखते तो और भी अच्छा रहता।
जब हम बच्चे थे तो विविधभारती पर तो सुनते ही थ्रे, गली मोहल्ले में होने वाले शादी ब्याह और मेलों में यह रिकार्ड बहुत बजा करता था।
ऐसे बेशर्म आशिक है ये आज के
इनको अपना बनाना गज़ब हो गया
हमारे घर के पास एक साउंड सिस्टम की दुकान थी। अक्सर सुबह-सुबह यह कव्वाली उसके लाउडस्पीकर से सुनने को मिलती थी। आपने बचपन के वो दिन याद दिला दिये। क्या अल्फाज़ हैं। पहली बार इतना ध्यान से सुना। इरफान भाई बधाई। अभी दो बार सुन चुका हूं। डाउनलोड करने का जुगाड़ बताइये।
नासिरूद्दीन
आपका भेजा कुछ सुन तो पाते नहीं हैं। लड़कियों की कहानियां अलबत्ता बड़ी जानदार लगीं।
भाई हमे तो बहुत मजा आया इसे सुनकर। शायद २५-३० साल बाद सुन रहे है। लगता है आज के संगीतकारों ने इसे सुना नही है वरना उन्हें समझ आता कि असली कव्वाली किसी कहते है।
अह्हा!!! अर्सों बाद सुनी. दिन बन गया. बहुत बहुत आभार.
वाह ! मज़ा आ गया ।
आपको और अभय जी दोनो का ही शुक्रिया ! आज हम बस टूटी बिखरी यादों और सुरों में खो गए...!
Post a Comment