टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Thursday, August 30, 2007
आर.चेतनक्रांति की एक कविता
सुनिये युवा कवि
आर.चेतनक्रांति
की एक कविता. हालांकि यह उनकी प्रतिनिधि कविता नहीं है लेकिन चूंकि स्वयं उनके ही स्वर में है इसलिये जारी करता हूं.
राजकमल के कर्मचारी, मालिक मकान के बच्चे और समय
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