दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Friday, August 17, 2007

अंकुर राय का गाना


अंकुर राय आजकल समकालीन जनमत के कला संपादक हैं. इस पद पर कभी भाई अज़दक और कभी इन पंक्तियों का छापक भी रह चुका है. जब हम लोगों ने इलाहाबाद में अपनी सांस्कृतिक गतिविधियां शुरू कीं तो उनका जन्म नहीं हुआ था. हम लोगों नें उन्हें गोद में खिलाया और हमारे साथ उनकी बड़ी मधुर यादें हैं. बनारस से चित्रकला और एप्लाइड आर्ट में प्रशिक्शित होकर वो आज एक कुशल डिज़ाइनर हैं, सांस्कृतिक कार्यों में तो वो अर्से से इन्वॊल्व रहे हैं, इधर कुछ अंको के बड़े ही आकर्षक कवर उन्होंने बनाए हैं. उनको प्रगति के मार्ग पर लगतार आगे बढ़्ते रहने की शुभकामनाएं और स्नेह.

11 अगस्त 1991 को उन्होंने मेरे कहने पर एक गीत गाया था- वह पूरा गीत यहां पेश कर रहा हूं.







2 comments:

अनामदास said...

पापा कहअते हैं बाड़ा नाम करेगा...अच्छा लगा, बहुत प्यारा भोजपुरी टोन है... ये हमारे आदरणीय रामजी राय के सुपुत्र तो नहीं? आप भी कमाल करते हैं, बच्चे को नाहक़ शर्मिंदा करते हैं. 16 साल में राम का बनवास ख़त्म हो गया था लेकिन उस बच्चे के गाने को आप अपने फेनूगिलास (साभार, रेणु, परति परिकथा)में रिकाट किए बैठे हैं, और अब बाँट रहे हैं. अंकुर राय को हमारी शुभकामनाएँ.

Udan Tashtari said...

शायद उस समय बहुत छोटे रहे होंगे, आवाज से ऐसा लगता है.