दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Wednesday, August 15, 2007

वीरेन डंगवाल की कविता


हिंदी कवियों में आज वीरेन डंगवाल का नाम बड़ी ही इज़्ज़त से लिया जाता है. वो न सिर्फ़ शानदार शायर हैं, जानदार आदमी भी हैं. "यार मैं भी कितना बड़ा चूतिया हूं" कह कर एक पल में आपको अपनी आभा से बाहर पटक देते हैं. आभा बनाने की उन्होंने कभी कोशिश नहीं की, वो तो उन्हें अपनी कविताओं से ही हासिल है. सुनिये वीरेन दा की कविताओं मे से एक कविता "कुछ नई क़समें", जो चार-एक साल पहले उन्होंने अपनी किताब दुष्चक्र में सृष्टा के रिलीज़ फ़ंक्शन में सुनाईं थीं.

2 comments:

Anonymous said...

Theek hi toh kahte hain aap..."jo cheez tu hai koi aur nahin!"

...अमर said...

irfaan bhai...plz is kavita ko refresh ya update kar dijiye... kai baar khlne ka prayas kiya...sunne ki badi ichcha hai.