रोलर-आग
बजरी और कोलतार...
लो आ गये सड़क बनाने वाले !
बड़े बड़े वाहनों और आने जाने वालों की गालियों
से बचते हुए
लगे रहते हैं दिन रात
अक्सर सुबह जब हम जगते हैं
तो पाते हैं, सड़कें- चिकनी- काली-मज़बूत
बिछी हैं.
हल्की टूट-फूट पर भी लग जाते हैं
सड़क बनानेवाले
सड़क बनानेवाले
अपनी ज़िंदगी की टूट-फूट से बेखबर
हमारी सड़कें बनाते रहते हैं.
(गुरमा, 18 अप्रेल, 1988)
बजरी और कोलतार...
लो आ गये सड़क बनाने वाले !
बड़े बड़े वाहनों और आने जाने वालों की गालियों
से बचते हुए
लगे रहते हैं दिन रात
अक्सर सुबह जब हम जगते हैं
तो पाते हैं, सड़कें- चिकनी- काली-मज़बूत
बिछी हैं.
हल्की टूट-फूट पर भी लग जाते हैं
सड़क बनानेवाले
सड़क बनानेवाले
अपनी ज़िंदगी की टूट-फूट से बेखबर
हमारी सड़कें बनाते रहते हैं.
(गुरमा, 18 अप्रेल, 1988)
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