दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Saturday, January 18, 2014

प्राथमिकताएं बदलो

ख़ुशियों और चिडियों की
बड़ी गड्डमड्ड होती छवियां हैं
मेरे मन में

वो जो कुछ मर रहा है
मेरे भीतर
ऑर्केस्ट्रा में सिंथेसाइज़र बजाते छोकरे की
जड़ छायाएं हैं
यहां चिडियों के परों को झुलसा देने वाली

घर रहने आई हैं चिडियां

उन्हें संगीत और हथेलियों के शोर से
बचाना है.

(पटना, दिसंबर 1991)

No comments: