वह हमारी मां है
सदा हम पर रहती हैं उसकी आंखें
माफ़ भी कर देती है कभी वह हमको
आओ बच्चों!
हम चढ जाते हैं उसकी गोद में
धनवान नहीं हैं हम
उसका देखना ही हमारी एकमात्र रोटी है
उसका अकेलापन हमारी एकमात्र छत है
आओ बच्चों
क्रूस के दिन हम जला देंगे- कविताएं
रात के खाने के वक़्त
जला देंगे युद्ध को बिना दियासलाई के.
II शौकी अबि शकरा (लेबनान) II
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