टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Tuesday, January 28, 2014
बीसवीं सदी
एक ताबूत-
किसी बच्चे का चेहरा जिस पर
एक किताब किसी कौए के पेट पर लिखी
एक हिंस्र पशु छुपा हुआ किसी फूल में
एक चट्टान
किसी पागल के फेफड़ों से सांस लेती हुई
ये है वह
बीसवीं सदी.
एडोनिस (अली अहमद सईद) सीरिया
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment