टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Tuesday, January 28, 2014
थकावट
हम शुरू हुए थे
पृथ्वी को फांदने के लिये
- दो सांड़ों की तरह
और ढह गये
कमरे के एक कोने में
सूरज की छाया की तरह.
- सांदी यूसुफ़ (ईराक़)
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