दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Tuesday, December 18, 2007

साधुवाद और साधुवादी गाना


अक्सर ब्लॉगरों को टिप्पणियों के रूप में साधुवाद मिलता है और अक्सर को नहीं मिलता. मैने नेट पर तलाश किया कि इस वाद के प्रवर्तक-महाशय यानी साधूबाबा का कोई फोटो और गाना है क्या! थोडी सी ही मशक्कत के बाद दोनों मिल गये. पेश हैं. अगर आपको ऐसी साधुवादी टिप्पणी मिले तो इन्हीं की मानियेगा और न मिले तो भी इन्हीं की मानियेगा.



फिल्म: प्रेमनगर (1940)
प्रमुख पात्र: रामानंद, बिमला कुमारी, हुस्न बानू, राय मोहन, नागेन्द्र, सालू और गुलज़ार
निर्देशक: एम भवनानी
संगीत: नौशाद

7 comments:

बोधिसत्व said...

इरफान भाई
साधुवाद

Unknown said...

श्रीमानजी साधुवाद के लिए हृदय से साधुवाद। इसी प्रकार के अभिनव प्रयोग करते रहें। एेसी मेरी कामना है।

अभय तिवारी said...

साधुवाद! लिखते रहें! आभार!

अभय तिवारी said...

समीर भाई का ऐसा सुन्दर चित्र प्रस्तुत करने के लिए एक बार फिर साधुवाद!

मीनाक्षी said...

:) सुनते ही चेहरे पर जो मुस्कान आई तो अभी तक टिकी है... हास्य व्यंग्य का बेहद खूबसूरत नमूना... :)

इरफ़ान said...

सभी साधुओं को धन्यवाद.
विशेषत: साध्वाचार्य श्री-श्री 1008 स्वामी अभयानंद निमलानंद सरस्वती को. और उनसे एक भूल सुधार का निवेदन. प्रभो! चित्र इतना भी विचित्र नहीं है कि इसमें आप समीर भाई की छवि देखें. दाढी कटवने मात्र से आप इस पर से अपनी दावेदारी नहीं छोड सकते.

अफ़लातून said...

खोजी बन्धु , बधाई। राजेन्द्र राजन की कविता वाले जनमत के दो अंक खोज दें। पटना के जमाने के। केके फोन पर वादा कर,भुला गये हैं।