दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Monday, April 21, 2008

एक टीवीकर्मी की रामकहानी !


टीवी में काम कर चुके हर किसी में ऐसा दम नहीं जो राहुल पंडिता ने दिखाया. यह ग्राफ़िक नॉवेल मैंने कोई ढाई साल पहले देखी थी, तभी से चाहता था कि इसे आपके साथ शेयर करूँ. तरीक़ा कई बार निकाला लेकिन नाकाम रहा. अब एक कोशिश और कर रहा हूँ. टेक्स्ट और काँसेप्ट राहुल का है. इलस्ट्रेशंस राहुल के जिगरी यार शरद शर्मा ने किये हैं. नीचे दिख रहे पेजेज़ डबल क्लिक करने से अलग विंडो में बडे होकर मस्त दिखाई देंगे इसलिये इनके छोटे आकार से घबराइयेगा नहीं. अगर बात आप तक पहुँचे तो ज़रा ज़ोर से ताली बजाइयेगा.



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राहुल का लिखा एक पीस यहाँ भी है. उनकी फ़ोटो भी यहीं से साभार ली गई है.
यह पुस्तक सराय से हासिल की जा सकती है.

14 comments:

azdak said...

सही है. यह कसरत अब कुछ पुरानी हुई, राहुल तक संदेशा भिजवाया जाये कि अब एक नयी में जान फूंकें..

शिरीष कुमार मौर्य said...

चित्रों का बोलना !
बहुत अच्दी कोशिश है राहुल जी की !
हमारे प्रिय कवि देवी भाई अपनी सहघर्मिणी के साथ इस तरह के कुछ अच्छे प्रयोग पहल में कर चुके हैं - मुझे उनकी भी याद आयी !
ऐसी पोस्ट लगाने का आभार !

VIMAL VERMA said...

अच्छा तो ऐसे भी कहते हैं कहानी..ये प्रयोग तो मस्त है भाई... और भी हो देखने तो देखने की लालसा जग गई है..बधाई राहुल तक पहुँचा दे और आपका काम भी तारीफ़ के काबिल है। बधाई...

Priyankar said...

धीरज से एक-एक कर देखते रहे,मुस्की ढीलते रहे और चैनलों को गरियाते रहे .

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

hmmmmmmmmmmmm!!!!!!!

Amit Anand said...

बहुत बढ़िया, मजा आ गया । इरफानजी और राहुलजी दोनों को धन्यवाद, अनूठा प्रयास है। इसे आगे भी बरकरार रखें।
- अमित

उमाशंकर सिंह said...

राहुल... इस पीड़ा से बाहर निकल आओ... ज़िंदगी बड़ी है... और शायद तुम्हारा लक्ष्य भी... शुक्रिया

Rahul Pandita said...

Pramod ji, aapne sahi farmaya. ab kucch naya hona chahiye.
Shirish, Vimal aur Priyankar ji ko dhanyawad.
Isht Dev ji, hmmmm se aage bhi badiye, kucch boliye huzoor!
Amit, aage bhi zaroor. dhanyawaad.
Uma, peeda bilkul nahi hai, khushi hai, wahan se baahar nikal aaya.

Anonymous said...

मेरी वधाई. मुझे चित्र बनाना नहीं आता बरना में भी कोशिश करता.

Priyambara said...

सही है। जबरदस्त। बहुत मजा आया। अच्छा लगा। ऐसे प्रयोग के लिए बहुत बहुत बधाई।

Anonymous said...

Irfan ji !!!!!!

Namaskar....

Aapke blog "tooteehueebikhreehuee" pe aapke dwara dala gaya Rahul Pandita ji ka pic-upanyash padhne ka mauka mila. Kaphi sunder prayash hain unka, Aapne bhi kaphi mehant ki hain use hum tak pahuchane mein.

Aapka blog bhi bahut accha laga. Par, yeh kya koi uski posts pe tippani nahin kar sakta, bina aapki aagya ke. Sayad aapko aapne man ki sunna pasand hain ? ? ? Sant Kabir ka woh doha to aaapko yaad hai na, " Nindak niyare rakhiye Aagan kuti chawaye " wala. Ho sakta hain meri baatein aapko buri lage. Par kya karu talif hui jab aapne meri tippani ko samil nahi kiya. Haaan, Maine bhi Rahul ji wali post pe tippani ki thi. Jo ab tak samil nahi ki gayi. Pata nahi kyun ? ? ?

Chailye koi baat nahi. Waise main aapko batana chahta tha ki us post mein aap unke upanyash ka pristh karmank : - 10 scan karne mein chuk gaye hain. Sayad tabhi uski jagah par pristh karmank: - 11 do baar aa raha hain.

Umeed karta hoon ki aap use sudhar lege. Taki main use bhi padh saku....

Aapka ..............

Ashish Dadhich

sanjay patel said...

करिश्माई प्रस्तुति है राहुल भाई मोहल्ले पर आपकी.कम शब्द और ज़्यादा बोलते रेखांकन ...मन की गहराई से साधुवाद.

मुनीश ( munish ) said...

great ! this man has d potential to turn a new leaf in contemporary history of indian media . it takes a lot of courage to admit these bitter realities . hang the man who doesn't know the difference between a MAJOR and LT. COL. !!

मुनीश ( munish ) said...

Shoot the bastard who can't differentiate between a Lt. Col. n Major and claims to be an editor. Rahul u have d potential to turn a new leaf in the history of contemporary Indian media . Go ahead and rule!!