Wednesday, April 2, 2008
पहुँचना एक पापी का स्वामी के आश्रम में और पाना भभूत का अर्थात हृदय परिवर्तन संभव है और अनिवार्य भी...
तो भक्तो! कल-कलकर बहता पानी और छल-छलकर रहता प्राणी,अर्थात जल की द्रव्यता और मनुष्य की सभ्यता में परस्पर क्या संबंध है? हमारे गुरू स्वामी अडबडानंद प्रायः कहा करते हैं कि जल जीवन का आधार है तथा मनुष्य का जीवन सर्वोपरि है क्योंकि चौरासी हजार योनियों की यात्रोपरांत वह इस नश्वर संसार में अनश्वर आत्मा के वहन का वाहन बना है. तो मैं कह रहा था जीवन का आधार जल है और मनुष्य का आधार मल है अर्थात मूल है अर्थात योग में जिसे मूलाधार कहा जाता है. इस प्रकार यह निश्चित है कि व्यक्ति का मूलाधार यदि असंतुलित अथवा अव्याख्यायित है तो वह छल-छलकर ही छलना का पर्याय बनेगा.थाली का बैंगन इसीलिये लुढकता रहता है क्योंकि उसका मूलाधार नहीं है. निष्कर्ष यह है कि मनुष्य को इहलोक का जीवन शांत और शीतल बनाना है तो उसे कल की ही भाँति मार्गदर्शन और प्रवचन की बूटियों की आवश्यकता होगी. वह चाहे राग हो, विराग हो अथवा बिलॉग. मतिभ्रम की स्थिति में मनुष्य कतिपय भूलें और शब्दकोश आदि लिख मारता है परंतु जब जागे तभी सबेरा की सदासिद्ध उक्ति पर विश्वास रखते हुए वह स्वामियों के आश्रम में जाकर अपने पापों का प्रायश्चित कर सकता है और भभूत प्राप्त करके निर्मल मन से आनंदित होकर पुनर्जीवन प्राप्त कर सकता है. हृदय है तो परिवर्तन है उसी प्रकार जिस प्रकार मनुष्य है तो त्रुटियाँ हैं. सदाव्रत के मंचों की कभी कमी नहीं रही है भक्तो! बिलॉग में आकर आप स्वयं को असहाय और असमर्थ मत समझो , हर धर्म का गुरू हृदय परिवर्तन को स्वीकार करता है और तुम्हारा धर्म बिलॉग लेखन है और बेलाग लेखन तुम्हारा कर्म अतः हे भक्त! लिख-लिख और लिख.
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19 comments:
स्वामी अड़बड़ानंदजी महाराज की जय हो !
मैं चकित हूं? स्खलित हूं? आपही की तरह दिग्भ्रमित हूं?
क्या अद्भुत रचनात्मक प्रवाह है..क्या प्रभावशाली अभिव्यक्ति है.. अहहा!
अद्भुत हृदय परिवर्तन.
What a great flow.... you are gradually becoming a modern day Mahatma....keep it up!!
महाराज की जय हो.. महाराज आपने हमारी बन्द आँखें खोल दीं,मिल गया जीवन का सत,ऐसे ही बोलवचन से परिवर्तन सम्भव है महाराज..जै हो..
धन्न हो स्वामी इरफ़ानानन्द जी . बीच-बीच में अइसे ही प्रवचनियाते-टोनियाते रहें .
छुट्टा नहीं है बाबा, कल आना।
महात्मा लोग जब लिखवाते हैं तो आम तौर ज़मीन-जायदाद. आपका क्या इरादा है?
Remember Every saint has a PAST! Have u confessed ur sins ?
मूर्खाधिराज टिप्पणीकर्ताओ, यह आलेख इस लिंक की प्रतिक्रिया में लिखा गया है।
प्रिय भाई राघव,
आप निष्कर्ष तक पहुँचने की हडबडी में हैं.
अच्छा, तो क्या वो लिंक ये है?
देखिये लगता है - "हो गए ख़त्म इम्तिहान घर के बच्चों के / नाम परमात्मा का, कलाम परखच्चों के? " [ :-)]
हेलो-हेलो वन मिनट मिस्टर मनीश जोशी(जोशी.म.)! आप 'सस्ता शेर' नहीं बल्कि "टूटी हुई बिखरी हुई" पर हैं.
और हेलो मिस्टर राघव आलोक! आप आम खाइये, पेड गिनने के लिये हमने विज़िटर मीटर लगाया हुआ है.
अच्छा, भाई सभी भक्तों को धन्यवाद भी देना है कि वे प्रवचन के सुधी रसिक निकले.
प्रवचन सुनकर दिल शैंटी फ़्लॆट हो गया ""
अरे - आपने फिर हड़का दिया - कान पकड़ के उठ बैठ लिए - तीन बार - अब ठीक ? - जोशी. म.
मूर्खाधिराज स्वामी अड़बड़ानंदजी महाराज स्वामी इरफ़ानानन्द जी की टुटी बिखरी जय हो !
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