इंडियन प्रेस, इलाहाबाद के मालिक बाबू गिरिजा कुमार घोष लाला पार्वती नंदन के नाम से लिखते रहे.
1901 से 1921 के बीच महिलाओं की कुछ पत्रिकाएँ: इंदु, स्त्री दर्पण, गृहलक्ष्मी और मर्यादा.
1951 से 1960 के बीच कुछ महिला लेखिकाएँ हिंदी की प्रचलित पत्रिकाओं में छपी हुई पाई गईं-
1. लीला अवस्थी
2. शोभा
3. शशि तिवारी
4. माया गुप्त
5. शचीरानी गुर्टू
6. इंदुमती
7. मदालसा अग्रवाल
8. सुप्तिमयी सिन्हा
9. कमलादेवी चौधरी
10. शीला शर्मा
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मर्यादा: संपादक- कृष्णकांत मालवीय
प्रभा 1913 में खंडवा से शुरू हुई. संपादक: माखनलाल चतुर्वेदी
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मीर साहब रुला गये सबको
कल वो तशरीफ़ याँ भी लाए थे
न पूछो कुछ हमारे हिज्र की और वस्ल की बातें
चले थे ढूँढने जिसको सो वो ही आप हो बैठे
मैं किसी चीज़ का नहीं आदी
एक आदत है साँस लेने की
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रंग महलों से जसोदा का कन्हैया चल दिया
चाँदनी में मंज़िल-ए-इरफ़ाँ का ज़ोया चल दिया
(राष्ट्र भारती, 1956, सागर निज़ामी की गौतम बुद्ध नाम की नज़्म से)
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उच्चरित भाषा की विचित्रताएँ
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गया था करोलबाग़ के फर्नीचर मार्केट में बच्चों के लिये एक झूला ख़रीदने.झूलेवाले अरविंद ज़माने से ख़फ़ा थे और वो इन दिनों हिंदू धर्म का इतिहास पराजयों का इतिहास पढ रहे थे. उन्हों ने एक शेर सुनाया-
जवानी में अदम के वास्ते सामान कर ग़ाफिल
मुसाफ़िर शब से उठता है जो जाना दूर होता है
-इक़बाल
1 comment:
सब कुछ अच्छा है इरफान भाई , पर महिला लेखिकाएं ! या तो महिला लेखक या फिर लेखिकाएं - कोई एक ही चीज रहे तो अच्छा लगेगा। गुस्ताखी माफ !
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