Monday, April 7, 2008
जयपुर में मेरे दो दिन और हँसी के फ़व्वारे ...
मेरे दोस्त राजदीप रंधावा जब से दिल्ली छोडकर जयपुर जा बसे हैं तब से हँसी और ठठ्ठों की महफ़िलें उजड गई हैं. जयपुर में वो रेडियो मिर्ची के प्रोग्रामिंग हेड हैं. वहाँ वो अपनी प्रतिभा का क्या इस्तेमाल कर रहे हैं इसे लेकर वो ख़ुद भी बहुत साफ़ नहीं हैं लेकिन उनके ऑब्ज़र्वेशंस और उनका सेंस ऑफ ह्यूमर लगातार बढता जाता है. राजदीप एक अद्भुत इंसान हैं और छोटी-छोटी चीज़ों में छुपी विद्रूपता को उनकी पारखी आँखें झट से पकड लेती हैं.
ऐसी बैठकें अब ख़्वाब हो चुकी हैं जिनमें राजदीप के ऐक्शन भरे लतीफ़े और क़िस्से ख़त्म होने को न आते थे और हर किसी के पेट हँस-हँसकर दुहरे हो जाते थे. अब कोई आठ-नौ महीने होने को आए हैं उन्हें जयपुर में रहते हुए और मैं उन्हें बहुत मिस करता हूँ.उनकी कमी सिर्फ़ वही पूरी कर सकते हैं. उनके सीने में हमदर्दी से भरा दिल है और तबीयत में अखरनेवाला रूखापन. यही दो चीज़ें हैं जिनका कम्बीनेशन ठीक से समझने के बाद आपको शिकायत नहीं रह जाती. मेरा उनका साथ भी बहुत पुराना नहीं, शायद दो-तीन साल पुराना ही है. वैचारिक प्रतिबद्धता और सामाजिक सरोकार उनकी डिक्शनरी में वैसे नहीं हैं जैसे उनकी अपेक्षा की जाती है. लेकिन मैंने उनकी बनाई एक डॉक्यूमेंट्री से यह बरामद किया है कि तमाम घोषित प्रतिबद्धों से ज़्यादा इंसानी हमदर्दी उनके दिल में है. "एक था लालपरी" दिल्ली के एक हिजडे लालपरी के जीवन से एक दिन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री है जिसे कुछ पुरस्कार आदि भी मिले हैं लेकिन जिसे राजदीप अपना रेप्रेज़ेंटेटिव काम नहीं मानते. बहरहाल कई महीनों से मन था कि राजदीप से मिला जाय और उनकी नई ज़िम्मेदारियों के बीच उन्हें देखा जाय. आख़िरकार उनके बार-बार के इसरार और अपनी दोस्ती के हवाले से मैं परसों उनके घर जा धमका. लंबी-लबी ख़ामोशियों के बीच पुरानी यादें एक बार फिर ताज़ा हुईं. सभ्यता के विदूषको और उनके चहेतों की हाल ख़बर ली गई और रेडियो में उनकी नई कारगुज़ारियों पर सरसरी नज़र डाली गई.
दिल्ली में रेडियो मिर्ची के साउंड इंजीनियर अमजद उर्फ़ लकी, राजदीप रंधावा और वॉयस आर्टिस्ट सुरजन सिंह
पेश है इस मुलाक़ात को समर्पित ज़िया मोहिउद्दीन की आवाज़ में पतरस बुख़ारी की एक व्यंग्य रचना-
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
13 comments:
जयपुर में राजदीप जी से जरुर मुलाकात करना चाहूंगा
achha laga...first time aapko padha
i agree with Rakshanda !!
.....by the way try to post that documentary here, afterall u wrote it!
@Munish
Though the voice over in this Doc. was done by you I can't upload it here due to some technical reasons.
@ Rakshanda: Jai Borchi!
@ Ashish आप ज़रूर मिलें.
aapne jo merey barey mein likhkar merey liye landmines bichaayi hain,,,,ab mujhey us par khara utarney ke liye kya karna hoga...sotheby's jaisey auction house aapko muh maangi keemat mein lejayengey. rajdeep
इरफान, आप जयपुर आए और जयपुरवालों को सूचित भी नहीं किया, ये अच्छी बात नहीं, आप जैसे कुछ लोगों से मुलाकात का मौक मिलता तो अच्छा लगता। वैसे कैसा लगा हमारा शहर
सर
जयपुर आए थे तो हम जैसे बच्चों को भी दर्शन दे देते। इस बहाने एक ब्लॉगर्स मीट हो जाती।
Aap ke dost bahut licky hain..... ki unhe aap jaisa dost mila.... jisney unhe itna dilchasp bana diya..... great work....
Danish Iqbal
Rakhshanda ji ki baat mein vazan hai. Hai hi buss!!
अच्छा है बढ़िया लोगों के बारे में बढ़िया पोस्ट,लगे रहें....
बहूत बढिया !! मजा आ गया !! सुभान अल्लाह
Post a Comment