दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Friday, November 16, 2007

रेडियो रेड और ऑडियो बुक्स: सुनिये गोरख पांडेय की कविता ''बंद खिड़कियों से टकराकर"


सुनिये गोरखजी की यह कविता. इसे मार्च 2007 में जारी आएंगे अच्छे दिन नाम की ऒडियो बुक से उनकी 16 अन्य कविताओं के साथ सुना जा सकता है. प्राप्त करने के लिये नीचे कमेंट बॊक्स में लिखें या- gorakhpurkafilmfestival@gmail.com पर ईमेल करें. फ़ोन करना चाहें तो करें संजय जोशी को- 09811577426 पर. इस सीडी से एक कविता यहां पहले भी सुनाई जा चुकी है. इसमें गोरखजी की बोलती और महेश्वरजी की गाती आवाज़ें भी सुनी जा सकती हैं.



बंद खिड़कियों से टकराकर

------------------------------------पूनम श्रीवास्तव----Dur.2min43sec

5 comments:

अभय तिवारी said...

कविता तो हृदय विदारक है ही.. प्रस्तुति भी असरदार रही!

इरफ़ान said...

अभय जी आप जैसा कद्रदान मिलना मुश्किल है.जय बोर्ची.

स्वप्नदर्शी said...

ye meri one of the favourate poem hai. pata nahi mujhe aawaaz mei bahut naatkiiytaa lagii, kuch jaldbaazi bhii, jo iski anubhootii ko kam kartii hai.

संदीप said...

कविता की प्रस्‍तुति शानदार है, कृपया यह बताइए कि यह सीडी कैसे प्राप्‍त कर सकता हूं।

Reyazul Haque said...

Bhai yah CD mujhe bhi chahiye. kaise milegi?
Reyazul Haque