टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Friday, November 30, 2007
त्रिलोचनजी से विचारोत्तेजक बातों का दूसरा हिस्सा
वरिष्ठ कवि
त्रिलोचन
से बातचीत का शुरुआती हिस्सा आप
यहां
सुन चुके हैं. अब सुनिये इस बातचीत का दूसरा हिस्सा. साउंड में क्लैरिटी का अभाव है, इसके लिये हमें खेद है.
Dur. 29Min 03Sec
1 comment:
Rajendra
said...
Content is more powerful than form.
November 30, 2007 at 12:28 PM
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