Wednesday, November 14, 2007
रेडियो रेड और क़िस्सागोई: सुनिये इब्ने इंशा की 'उर्दू की आख़िरी किताब' से कुछ हिस्से...
इब्ने इंशा १९२७ में पंजाब के लुधियाना में पैदा हुए थे. शुरुआती पढ़ाई भी उन्होंने यहीं से की लेकिन जब पाकिस्तान बंटा तो वो उधर चले गये और फिर उधर ही रहे.
मां बाप ने उन्हें शेर मोहम्मद ख़ां नाम दिया था लेकिन वो जाने गये इब्ने इंशा के नाम से.
उर्दू के मशहूर शायर और व्यंग्यकार.
लहजे में मीर की ख़स्तगी और नज़ीर की फ़क़ीरी पाई जाती थी. हिंदी और उर्दू पर उनको बराबर की महारत हासिल थी. ज़बान की इसी खासियत के बल पर उन्हें ऒल इंडिया रेडियो में काम मिला था. बाद में वो क़ौमी किताबघर के डायरेक्टर रहे फिर पाकिस्तानी दूतावास में सांस्कृतिक मंत्री रहे और पाकिस्तान में यूनेस्को के प्रतिनिधि रहे.
११ जनवरी १९७८ को वो लंदन में कैंसर से मरे.
चांदनगर, इस बस्ती के इक कूचे में, आवारागर्द की डायरी, बिल्लू का बस्ता, दिल-ए-वहशी, चलते हो तो चीन को चलिये, नगरी नगरी फिरा मुसाफ़िर, ख़ुमार-ए-गंदुम,यह बच्चा किसका बच्चा है और उर्दू की आख़िरी किताब उनकी हरदिल अज़ीज़ किताबें हैं.
आइये आपको सुनाते हैं- उर्दू की आख़िरी किताब से कुछ हिस्से.
इत्तेफ़ाक़ में बरकत है
-----------------------------------------------------------------------मुनीश
चिड़ा और चिड़िया
-----------------------------------------------------------------------मुनीश
कछुआ और ख़रगोश
-----------------------------------------------------------------------मुनीश
प्यासा कौआ
-----------------------------------------------------------------------मुनीश
भैंस
----------------------------------------------------------------------इरफ़ान
बकरी
----------------------------------------------------------------------इरफ़ान
ऊंट
----------------------------------------------------------------------इरफ़ान
आदमी
----------------------------------------------------------------------इरफ़ान
इल्म बड़ी दौलत है
----------------------------------------------------------------------इरफ़ान
अख़बार
----------------------------------------------------------------------इरफ़ान
कपड़ेवाले के यहां
----------------------------------------------------------------------इरफ़ान
जूतेवाले के यहां
----------------------------------------------------------------------इरफ़ान
खाने की चीज़ें
----------------------------------------------------------------------इरफ़ान
मक्खन
----------------------------------------------------------------------इरफ़ान
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6 comments:
इरफ़ान भाई...आदाब..
जब भी आपके शब्द-घर में आता हूँ
हर बार कुछ नया पाता हूँ
इब्ने इंशा पर आपकी मुख़्तसर सी जानकारी लाजवाब है.
आप जादुई आवाज के मालिक हैं,
बहुत अच्छी जानकारी के लिये धन्यवाद!!
इरफान भाई शानदार प्रस्तुति है । मुबारक हो ।
एक राय है । ईको में थोड़ी गड़बड़ी सी लग रही है ।
आवाज़ पर थोड़ा सवार सा हो रहा है । आपको और मुनीश दोनों को बधाई ।
जबरदस्त हुजूर....मज़ा आ गया..
उर्दू की आखिरी किताब मैंने पढ़ रखी थी.. पर सुनना अलग अनुभव है.. बहुत बढ़िया!
आप सभी साथियों का आभार. इसी तरह हौसला बढाते रहेंगे तो मेरी रातों की जगाई का पैसा वसूल हो जायेगा.
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