दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Friday, December 5, 2008

गंदे गाने: एक श्रृंखला...तोहके गोली नाही मरबई हो पियाराऊ...

शुद्धतावादियों से क्षमा सहित.
नोट: यहाँ लिखने के लिए गूगल के ट्रांसलिटरेशन टूल से काम ले रहा हूं। चूकें नज़र अंदाज़ करें।


1 comment:

एस. बी. सिंह said...

इरफान भाई क्या संयोग है मैं भी मिर्जापुर का हूँ। इलाहाबाद में पढ़ाई की और आजकल दिल्ली में हूँ । आपके ब्लॉग पर आकर मज़ा आगया। बाबा जी काटें या न काटें हमने तो यहाँ आकर मलाई काट ली। शुक्रिया।