टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Wednesday, December 31, 2008
गंदे गाने: एक श्रृंखला: मोरे संग संग चला...
1 comment:
दिनेशराय द्विवेदी
said...
नव वर्ष की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ।
January 1, 2009 at 7:14 PM
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नव वर्ष की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ।
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