टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Tuesday, December 16, 2008
गंदे गाने: एक श्रृंखला...:आग लागे अइसन ओझाई...
1 comment:
siddheshwar singh
said...
ई माल कहँवा से आइल हो रजा !
December 16, 2008 at 3:01 PM
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ई माल कहँवा से आइल हो रजा !
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