हिंदी क्षेत्रों की कोई तीन साल तक खाक छानने के क्रम में कुछ तस्वीरें हाथ आई हैं. आप देखें, मित्रों को दिखाएं और जहां चाहें इस्तेमाल करें. हां, अगर साभार स्मृति संवाद लिखेंगे तो सही रहेगा.
पंकज बिष्ट
रवि भूषण
विजय कुमार
दिनेश्वर प्रसाद
दूधनाथ सिंह
शुकदेव सिंह
राजेंद्र यादव
निर्मल वर्मा
नंदकिशोर नवल
नरेश सक्सेना
नामवर सिंह
मंगलेश डबराल
मिथिलेश्वर
कृष्ण नारायण कक्कड़
कपिला वात्स्यायन
इसराइल
जगदंबा प्रसाद दीक्षित
चंद्रकांत बांदिवडेकर
भगवत रावत के घर में एक पोस्टर
भगवत रावत और नीलाभ
श्रीलाल शुक्ल और इरफ़ान
बलराज पांडेय
हरि भटनागर
मुद्राराक्षस
प्रभु जोशी
जानकी वल्लभ शास्त्री
जानकी वल्लभ शास्त्री अपने जानवरों में से एक के साथ
विजयशंकर मल्ल
बच्चन सिंह
जितेंद्र भाटिया
केदारनाथ कलाधर
प्रभाकर श्रोत्रिय
रत्नशंकर प्रसाद(पुत्र जयशंकर प्रसाद)
शिवदान सिंह चौहान
उषा गांगुली
शंभुनाथ सिंह
ध्रुवदेव मिश्र 'पाषाण'
ध्रुवदेव मिश्र 'पाषाण'
जयशंकर प्रसाद के घर के परिसर का मन्दिर
प्रसाद मंदिर
8 comments:
ये तस्वीरें हमारे शब्दों का इतिहास हैं इरफान भाई। आपको इन तस्वीरों से हमें वाबस्ता कराने के लिए बधाई। हम जहां भी इनका उपयोग करेंगे, साभार का ज़िक्र ज़रूर करेंगे।
महान विभूतियों की तस्वीरों का संकलन बहुत अच्छा लगा…।
aapkaa b_laag ek sukoon kaa ehsaas deta hai. badhaaee s_veekaare\n.
इरफान जी..शुक्रिया और आभार ..मौलिक पोस्ट और तस्वीरे है.
हिंदी पट्टी के अपने लेखकों-साहित्यकारों के चित्रों को देखना सुखद रहा . बहुत से मित्र और परिचित भी दिखाई दिये . स्मृतियां ताज़ा हुईं .
इरफान जी;
आज सब्र से आपके सारी पोस्ट पढीं. एक बहुत सुखद एहसास हुआ.
मुझे आपकी आने वाली पोस्टों का इन्तजार रहेगा
पाषाण जी का फोटो देखा तो हठात् कलकत्ता के दिनों की याद ताज़ा हो गईं। जब में स्कूल में पढ़ता था और पाषाण जी पिताजी की मित्रमंडली के जमावड़े में आते थे। क्या उनका पता या फोन नंबर मिल सकता है? पिताजी को उनसे बात करके बहुत अच्छा लगेगा। ससुर जी (दिनेश्वर प्रसाद)की तस्वीर देखकर भी अच्छा लगा। तस्वीरें पोस्ट करने के लिए धन्यवाद। यदि और भी साहित्यकारों की तस्वीरें हों तो यह और भी मूल्यवान साइट हो जाएगी।
पाषाण जी का फोटो देखकर कलकत्ता के 35 साल पुराने दिनों की यादें ताज़ा हो गईं जब पाषाण जी, केसरी कांत शर्मा जी वगैरह पिताजी की साहित्यिक मित्रमंडली में शामिल थे और मेरे घर पर उनका जमावड़ा होता था। क्या पाषाण जी का कोई संपर्क नंबर मिल सकता है? पिताजी को उनसे बात करके अच्छा लगेगा।
ससुरजी दिनेश्वर प्रसाद जी का चित्र देखकर भी अच्छा लगा।
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