(1) अनाथ बच्चों के लिए ----------------- आवश्यक तो नहीं कि मेरी-तुम्हारी मां भी एक होती नालबद्ध होते हम जुड़वा भाइयों की तरह... आवश्यक तो नहीं कि... हमने एक साथ घुट्टी नहीं पी इतना कम तो नहीं की... जब-जब तुम्हारे एकांत में- खड़ा था मैं- तुम भी मेरे एकांत में खडे थे। सुनो भाई... जितने बहे तुम्हारे आंसू जितनी-जितनी रातों में तुमने ढूंढा मां को... उतनी-उतनी बार रोया मैं भी और...रोये मेरे गर्भ में असंख्य शिशु- मगर...अब हम आंसुओं को दें देगें... बादलों को- ताकि! बरस वह सकें बंजर धरती पर...।
(2) उस पार ------ इस पार बस रहा है सेटेलाइट शहर तेजी के साथ जिसमें- रिश्ते-नाते-संस्कार भाषा-बोली-गीत-संगीत रीति-रिवाज और भी बहुत कुछ बदल रहा है तेजी के साथ...। और उस पार नदी के किनारे पहाड़ की तलहटी में- बसे गांव-घर खेत-खलिहान पेड़-पौधे-बूढ़ी नम् आंखें हो रहे हैं तब्दील खंडहर में तेजी के साथ...। - जगमोहन 'आज़ाद'
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(1)
अनाथ बच्चों के लिए
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आवश्यक तो नहीं कि
मेरी-तुम्हारी मां भी एक होती
नालबद्ध होते हम
जुड़वा भाइयों की तरह...
आवश्यक तो नहीं कि...
हमने एक साथ
घुट्टी नहीं पी
इतना कम तो नहीं की...
जब-जब तुम्हारे एकांत में-
खड़ा था मैं-
तुम भी मेरे एकांत में खडे थे।
सुनो भाई...
जितने बहे तुम्हारे आंसू
जितनी-जितनी रातों में तुमने
ढूंढा मां को...
उतनी-उतनी बार
रोया मैं भी
और...रोये मेरे गर्भ में
असंख्य शिशु-
मगर...अब हम आंसुओं को दें देगें...
बादलों को-
ताकि! बरस वह सकें
बंजर धरती पर...।
(2)
उस पार
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इस पार
बस रहा है
सेटेलाइट शहर
तेजी के साथ
जिसमें-
रिश्ते-नाते-संस्कार
भाषा-बोली-गीत-संगीत
रीति-रिवाज
और भी बहुत कुछ
बदल रहा है
तेजी के साथ...।
और
उस पार
नदी के किनारे
पहाड़ की तलहटी में-
बसे गांव-घर
खेत-खलिहान
पेड़-पौधे-बूढ़ी नम् आंखें
हो रहे हैं तब्दील खंडहर में
तेजी के साथ...।
- जगमोहन 'आज़ाद'
Jagmohan apna phone number mujhe ramrotiaaloo@gmail.com par abhi bhejo.
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