दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Wednesday, February 13, 2008

उठो भावुक मत बनो !

1
"निष्ठुर"
मैं अनु को यही कहकर याद करता हूँ. ऐसी बात नहीं है कि उसने मुँह मोड लिया है. उपेक्षा करती थी मेरी लेकिन उसके सलोने मुखडे पर भावुकता के क्षण उभरते हुए नहीं देखे थे मैंने.

"बहुत भावुक हो तुम"
वो कहती थी. ज़रा सी बात पर तुम बेचैन हो उठते हो, ख़ुश हो जाते हो, रो देते हो, लंबी-लंबी बातें करते हो. क्या है ये सब?
फिर वो मेरे गालों पर अपनी उँगलियाँ रखती. मेरी आँखें थोडी देर को उसकी तरफ़ उठतीं और मैं किसी निर्वात में खो जाता, जबकि वो मुझे निर्निमेष निःशब्द देर तक देखती रहती. मैं एक जादू में बँधा उसकी नाज़ुक उँगलियों को माथे पर छुलाता, आँखों से लगाता.

कहीं एक मौन था और हम दोनों इस मौन के इस पार और उस पार रहते. हमारी आँखों के दायरे भीगे होते और कहीं से उभरती तरलता की लहरों पर भावों की नौकाएँ धीरे-धीरे हिचकोले लेतीं, जिनके चप्पुओं की आवाज़ें हमारे दिलों की धडकनों में घुल जातीं और एक अजाना डर पसरता कि दूरी कम होने से नावें टकरा न जायें.

चुप्पी, सन्नाटा, तरलता, चमक और फिर मोहक मुस्कान!
मेरे बालों में उँगलियाँ फँसाकर माथे को हल्की जुंबिश देती-- "उठो भावुक मत बनो".
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An extract from Dil Ne Phir Yaad Kiyaa, 24 Oct 2006

जन्नत है देखनी तो किसी दिल में आशियाँ बना...मुकेश

2 comments:

अमिताभ मीत said...

वाह साहब. इरफ़ान भाई बहुत ही उम्दा और नायाब गीत सुनवाया आप ने. शुक्रिया आप का. इसी तरह के और गीत सुनने की तमन्ना है, सुनवाते रहें. आप की पोस्ट सुन कर जी करता है मैं भी कुछ ऐसे ही नायाब चीज़ें पोस्ट करूँ यहाँ ...... http://kisseykahen.blogspot.com/

कभी फ़ुर्सत हो तो झाँक कर देखियेगा यहाँ भी .... शायद आप के मतलब की दो-चार बातें मिल जायें. बहरहाल शुक्रिया.

मुनीश ( munish ) said...

ab to sunte hain ki Neha standard chartered bank me manager asia-pacific operation ho gayi hain chunki vo bhavuk nahi thi aur ap ab tak un yaadon se ubar nahi pa rahe hain. khair keh lene se ji halka ho jaata hai Irfan babu. Geet bhi badhiya chuna hai apne.