टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Saturday, October 20, 2007
धरती माता जागो
सुनिये
दिनेश कुमार शुक्ल
की एक और छंद सघन रचना खुद उनकी ही आवाज़ में.
दिनेश जी की
तिलस्म और मालगाड़ी
और
बंदर चढ़ा है पेड़ पर
भी यहां आप सुन चुके हैं.
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