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मुनीश अपनी आदत से बाज़ नहीं आते हैं और चलते-चलते अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा पर फ़िल्मी गीतों को भारी कहते हुए उन्होंने ये बात साबित की. बात अज़दक से हो रही हो तो उन्हें फूंक-फूंक कर क़दम रखना चाहिये लेकिन मुनीश अगर मुनीश हैं तो अज़दक भी कम नहीं, बड़ी ही ख़ास अदा से उन्होंने मामले को बिगड़ने नहीं दिया और एक गीत सुनाया-अधूरा ही सही. मूल गीत यहां सुनें. और अज़दक को नीचे.
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2 comments:
कुछ झुकी झुकी नज़र कहे
कुछ दबा दबा स डर कहे.... क्या भाई सुर तो बराबर लगा है इसका मतलब दिल्ली में सब ठीक चलरहा है
अज़दक जी को पहली बार सुना …gr88888888
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