दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Saturday, October 6, 2007

अज़दक की बोलती-गाती आवाज़


मुनीश अपनी आदत से बाज़ नहीं आते हैं और चलते-चलते अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा पर फ़िल्मी गीतों को भारी कहते हुए उन्होंने ये बात साबित की. बात अज़दक से हो रही हो तो उन्हें फूंक-फूंक कर क़दम रखना चाहिये लेकिन मुनीश अगर मुनीश हैं तो अज़दक भी कम नहीं, बड़ी ही ख़ास अदा से उन्होंने मामले को बिगड़ने नहीं दिया और एक गीत सुनाया-अधूरा ही सही. मूल गीत यहां सुनें. और अज़दक को नीचे. अज़दक पॉडकास्टस श्रंखला जारी है.





2 comments:

VIMAL VERMA said...

कुछ झुकी झुकी नज़र कहे
कुछ दबा दबा स डर कहे.... क्या भाई सुर तो बराबर लगा है इसका मतलब दिल्ली में सब ठीक चलरहा है

पारुल "पुखराज" said...

अज़दक जी को पहली बार सुना …gr88888888