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रामसनेही:आपने सुना! संजय दत्त को फांसी अब भी होगी?
रामपदारथ:क्या करें घोर कलियुग है.
रामसनेही:क्यों?
रामपदारथ:आप तो जानते हैं कि न्याय सत्ता के साथ ही रहता है.
रामसनेही: इसमें सत्ता की बात कहां से आ गयी?
रामपदारथ: अगर अफ़वाहों पर कान दें तो उस हिसाब से संजय दत्त का संबंध कांग्रेस पार्टी के साथ होना चाहिये!
रामसनेही: कैसे?
राम्पदारथ: वो ऐसे कि संजय दत्त की मां की मां की मां राहुलजी के पिता की मां के पिता के पिताजी की वैसीवाली पत्नी थीं.
रामसनेही: आप तो गूढ होने लगे?
रामपदारथ: नहीं. कहते हैं कि बनारस की एक कोठेवाली दलीपाबाई पंडित मोतीलाल नेहरू की वैसीवाली पत्नी थीं. दलीपाबाई की पुत्री जद्दनबाई दुनिया की पहली महिला संगीतकार-गायिका थीं जिन्होंने फिल्मों में संगीत दिया. जद्दनबाई नें कई शादियां की होंगी लेकिन उनका पहला प्यार उत्तमचन्द मोहनचंद्जी थे जो कि एक डॉक्टर थे और जद्दनबाई से शादी करके अब्दुल रशीद बन गये थे. इसी शादी से जो तीन बच्चे हुए उनमें सबसे बडी का नाम उन्होंने फ़ातिमा ए.रशीद रखा. यही फातिमा आगे चलकर नरगिस नाम से मशहूर हुईं और थोडा और आगे जाने पर कॉंग्रेस सांसद स्वर्गीय सुनील दत्त की पत्नी बनीं थोडा और आगे जाने पर संजय दत्त की मां बनीं.
रामसनेही: अरे आप तो धाराप्रवाह बोले ही चले जा रहे हैं?
रामपदारथ: हम क्या ये सब तो नेट पर उपलब्ध जानकारियों का प्रवाह है.
रामसनेही: हां तो फिर?
रामपदारथ: अफवाहें तो यहां तक हैं कि जद्दनबाई पंडित नेहरू को राखी भी बांधती थीं.
रामसनेही: तो आप क्या कहना चाहते हैं?
रामपदारथ: यही कि बरसों से शासकवर्ग के साथ रहा आया न्याय अब संजय दत्त के पीछे क्यों पडा हुआ है? आख़िरकार आते तो वे उसी परिवार से हैं जहां बाक़ी लोग ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा में रहते हैं?
रामसनेही: आप आजकल नेट पर उपलब्ध जानकारियों को बहुत विश्वसनीय क्यों मानने लगे हैं?
रामपदारथ: ये तो आप का ही शुरू किया हुआ खेल है.
दोनों: हा, हा, हा...
रामसनेही: चाय नहीं मंगवाइयेगा?
रामपदारथ: अरे हां, ए लडका! दू गो चाय लाना रे! चीनी कम पत्ती जादा.
4 comments:
एक चाय का आर्डर मेरे लिए भी. चर्चा में हम भी शामिल हो लिए हैं.
सिर्फ संजय जी के लिए नही एक प्याली हमारे लिए भी मँगवा देना। कुछ कप फालतु बनवाना और भी आते ही होगें।
कृपया ध्यान दें...चाय जहाँ भी पी जाये हमारे ब्राँड को ध्यान में रखा जाये...
सुनीता(शानू)
क्या बात है आप हमारे चिट्ठे पर विराजमान है और कभी झांकने भी नही आते...:)
हा हा भाई...मजा आ गया. अब तो सजा भी हो गयी..कुछ और निकालिए.
और चीनी थोडी़ ज्यादा रखिए चाय में. एतना कम काहे पीते हैं. सुगर-उगर तो नहीं है?
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