ऐसा नहीं था कि उन्हें प्यार नहीं हुआ. बस दुश्वारी ये थी कि प्यार में भी वो होश में रहते थे. होश और प्यार का रिश्ता तो आप जानते/ती हैं कि चोली दामन का नहीं है. चोली की भली चलाई. उसकी इमेज ही काफ़ी है टु पुट यू ऑन. लेकिन ये बात यहां नहीं होगी. तो हुआ ये कि उसने जब पहला ख़त लिखा तो उसे वार्डेन ने खोल लिया और बात फैलते-फैलते बची. उसे जब पता चला कि ख़त खुल गया था तो उसने अपना तीसरा नेत्र खोला. अबकी बार ख़त बैरंग भेजा गया. खत के अंदर दो चीज़ें निकलीं- एक तो बहुत सा प्यार और दूसरा एक रुपये का नोट. लिखा था- ये ख़त आप तक ही पहुंचे इसलिये बैरंग भेज रही हूं और चुकाने के पैसे आप पर भारी न पडें इसके लिये ये एक रुपये का नोट भेज रही हूं. खत छुडा लिया गया था और अब ये एक रुपये का नोट था जो यादों में चुभने को दुनिया के सभी नोटों पर भारी था. आज भी वो एक रुपये का नोट उनके पास है. इसमें दुनिया भर की दौलत पर भारी पडने का वज़न है. ये एक टाइम मशीन है जिसे उनसे कोई नहीं छीन सकता.
Sunday, July 8, 2007
एक रुपये का नोट और प्यार
ऐसा नहीं था कि उन्हें प्यार नहीं हुआ. बस दुश्वारी ये थी कि प्यार में भी वो होश में रहते थे. होश और प्यार का रिश्ता तो आप जानते/ती हैं कि चोली दामन का नहीं है. चोली की भली चलाई. उसकी इमेज ही काफ़ी है टु पुट यू ऑन. लेकिन ये बात यहां नहीं होगी. तो हुआ ये कि उसने जब पहला ख़त लिखा तो उसे वार्डेन ने खोल लिया और बात फैलते-फैलते बची. उसे जब पता चला कि ख़त खुल गया था तो उसने अपना तीसरा नेत्र खोला. अबकी बार ख़त बैरंग भेजा गया. खत के अंदर दो चीज़ें निकलीं- एक तो बहुत सा प्यार और दूसरा एक रुपये का नोट. लिखा था- ये ख़त आप तक ही पहुंचे इसलिये बैरंग भेज रही हूं और चुकाने के पैसे आप पर भारी न पडें इसके लिये ये एक रुपये का नोट भेज रही हूं. खत छुडा लिया गया था और अब ये एक रुपये का नोट था जो यादों में चुभने को दुनिया के सभी नोटों पर भारी था. आज भी वो एक रुपये का नोट उनके पास है. इसमें दुनिया भर की दौलत पर भारी पडने का वज़न है. ये एक टाइम मशीन है जिसे उनसे कोई नहीं छीन सकता.
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5 comments:
बहुत शानदार-जानदार नोट है, हमने कॉपी कर लिया है, आगे के अनुप्रयोगों के लिये।
एक बेहद सुंदर लघुकथा, जो एक रूपए के नोट की ही तरह सहेज कर रखनी चाहिए, सुन रहे हैं साहित्यकार भाइयों.
कुछ तो है.. कुछ और भी हो सकता था..
सुन्दर लघुकथा! इरफान भाई
बहुत ही सुन्दर भावुक लघुकथा है इरफान साहेब..
मन मे घर बना गयी.
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