दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Thursday, August 21, 2008

मुनीश का बनाया हुआ एक बेहतरीन रेडियो रूपक

11 comments:

शायदा said...

वाकई बेहतरीन।

विजय गौड़ said...

मह्त्वपूर्ण है इरफ़ान भाई यह तो। बहरे तबील से लेकर आधुनिक नाटक पर संदर्भ बनी रहेगी- यह पोस्ट।

Udan Tashtari said...

बेहतरीन।

Sajeev said...

excellent munish, no word to praise, thanks irfaan ji

Ashok Pande said...

बहुत ज़बरदस्त है! एकदम अलहदा.

जय बोर्ची बाबा!

Dr. Chandra Kumar Jain said...

सबकी पसंद सही और स्वाभाविक है
सच बहुत अच्छा लगा.
शुक्रिया
==========
चन्द्रकुमार

शोभा said...

बहुत सुन्दर। सुनकर आनन्द आगया। आभार।

मुनीश ( munish ) said...

i never knew that u recorded it when it was broadcat long ,long ago.i also join the league in thanking irfan.

Nitish Raj said...

excellent....good one...

पारुल "पुखराज" said...

bahut badhiyaa..

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर!